कैपिलरी टेक्नोलॉजीज का आईपीओ 52% सब्सक्राइब, ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹26

कैपिलरी टेक्नोलॉजीज का आईपीओ 52% सब्सक्राइब, ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹26

कैपिलरी टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड का आईपीओ नवंबर 17, 2025 को शाम 6:55 बजे तक 52% सब्सक्राइब हो चुका था, जबकि ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ₹26 यानी ऊपरी मूल्य बैंड के 4.51% ऊपर पहुँच गया। ये आंकड़े InvestorGain.com के लाइव ट्रैकिंग डेटा से आए हैं, और यह एक अजीब सा मोड़ है — क्योंकि बीते दिन तक GMP 5% था, लेकिन अब थोड़ा घटकर 4.51% हो गया। ऐसा क्यों? क्योंकि निवेशकों के बीच उत्साह अभी भी बना हुआ है, लेकिन उनकी राह अब ज्यादा धीमी हो गई है।

आईपीओ का आकार और फंड उपयोग

इस आईपीओ का कुल आकार ₹877.50 करोड़ है, जिसमें से ₹345 करोड़ नए शेयर जारी करके फंड जुटाए जा रहे हैं, और बाकी ₹532.50 करोड़ का हिस्सा पुराने शेयरधारकों के शेयरों को बेचकर आया है। इसमें शामिल हैं 92,28,796 इक्विटी शेयर। आईपीओ की कीमत सीमा ₹549 से ₹577 प्रति शेयर तय की गई है, और एंकर निवेशकों को पहले ही ₹577 प्रति शेयर पर 68.28 लाख शेयर आवंटित किए गए थे — जिससे कंपनी को ₹393.97 करोड़ का फंड मिल गया।

अब जो फंड नए शेयर जारी करके जुटाए जाएंगे, उनका उपयोग कैपिलरी इस तरह करने की योजना बना रही है: ₹143 करोड़ क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में, ₹71.6 करोड़ उत्पाद और प्लेटफॉर्म के रिसर्च-डेवलपमेंट में, ₹10.7 करोड़ कंप्यूटर और संबंधित उपकरण खरीदने में, और बाकी फंड अन्य अधिग्रहण और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए। ये निर्णय बिल्कुल तार्किक हैं — एक SaaS कंपनी के लिए डेटा स्टोरेज और एआई-आधारित फीचर्स का विकास ही भविष्य है।

कंपनी का बिजनेस मॉडल और ग्रोथ

कैपिलरी टेक्नोलॉजीज एक सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) कंपनी है जो कस्टमर लॉयल्टी और एंगेजमेंट सॉल्यूशन्स प्रदान करती है। सितंबर 2025 तक, इसके 410 से ज्यादा ब्रांड्स 47 देशों में इस्तेमाल कर रहे हैं — जिनमें रिटेल, हेल्थकेयर, ऑटोमोटिव, होटल और एनर्जी रिटेल जैसे वर्टिकल्स शामिल हैं। ये एक असाधारण ग्लोबल प्रेजेंस है, खासकर जब हम देखें कि ये भारतीय कंपनी है।

फाइनेंशियल्स की बात करें तो जून 2025 तक के छह महीनों में कंपनी ने ₹359.22 करोड़ की बिक्री की, लेकिन नेट प्रॉफिट मात्र ₹1.03 करोड़ रहा। ये कम है? शायद। लेकिन ये एक बड़ी गलती होगी अगर हम इसे सिर्फ नेट प्रॉफिट के आधार पर जज करें। SaaS कंपनियाँ अक्सर पहले ग्रोथ पर फोकस करती हैं — न कि तुरंत मुनाफा। ये एक लंबी दौड़ है, और कैपिलरी अभी उसके शुरुआती दौर में है।

ग्रे मार्केट का रहस्य: बढ़ता हुआ दिलचस्पी, घटता हुआ प्रीमियम

ग्रे मार्केट प्रीमियम नवंबर 16 को ₹28.85 (5%) तक पहुँच चुका था, लेकिन अब ₹26 (4.51%) हो गया। क्या ये एक नकारात्मक संकेत है? नहीं। ये एक असली संकेत है — कि बाजार अब शुरुआती उत्साह से गहरी सोच में आ गया है। पहले लोग भाग रहे थे, अब वो देख रहे हैं।

ये बदलाव अक्सर तब होता है जब निवेशकों को लगता है कि कंपनी का वैल्यूएशन थोड़ा ऊँचा है। ₹577 प्रति शेयर की कीमत पर, कैपिलरी का पीई रेशियो लगभग 80-90 के आसपास है — जो एक बहुत ही ऊँचा आंकड़ा है। लेकिन ये उसकी ग्रोथ पोटेंशियल को दर्शाता है। अगर ये कंपनी अगले तीन साल में ₹1,000 करोड़ की बिक्री कर लेती है, तो ये वैल्यूएशन बिल्कुल सामान्य हो जाएगा।

अगला कदम: आवंटन और बाजार पर प्रभाव

अगला कदम: आवंटन और बाजार पर प्रभाव

आईपीओ का अंतिम दिन नवंबर 18, 2025 है। आवंटन जल्द ही घोषित हो जाएगा, और शेयर 25 नवंबर के आसपास बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे। अगर ये लिस्टिंग पर ग्रे मार्केट के स्तर के आसपास खुलती है, तो ये एक स्थिर शुरुआत होगी। अगर ये ₹600 से ऊपर जाती है, तो ये एक बड़ा संकेत होगा कि बाजार को इसकी लंबी अवधि की योजना पर भरोसा है।

इसके अलावा, ये आईपीओ भारत के टेक स्टार्टअप्स के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग है। क्योंकि अभी तक ज्यादातर टेक कंपनियाँ अपने आईपीओ के बाद नीचे गिर गईं — लेकिन अगर कैपिलरी सफल होती है, तो ये एक नया मॉडल बन जाएगा। एक ऐसा मॉडल जहाँ एक भारतीय कंपनी अपने ग्लोबल क्लाइंट्स के साथ अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को बेच रही है, और भारतीय निवेशक उसमें निवेश कर रहे हैं।

पूछे जाने वाले सवाल

कैपिलरी टेक्नोलॉजीज का आईपीओ क्यों धीमा हो रहा है?

आईपीओ का निवेश धीमा इसलिए हो रहा है क्योंकि निवेशक अब वैल्यूएशन को लेकर सावधान हो गए हैं। कंपनी का नेट प्रॉफिट बहुत कम है, और ₹577 प्रति शेयर की कीमत उसके आय के आधार पर बहुत ऊँची लग रही है। लेकिन ये एक लंबी दौड़ है — अगर कंपनी अगले तीन साल में बिक्री दोगुनी कर लेती है, तो ये वैल्यूएशन बिल्कुल सामान्य हो जाएगा।

ग्रे मार्केट प्रीमियम घटने का क्या मतलब है?

ग्रे मार्केट प्रीमियम घटने का मतलब यह नहीं कि दिलचस्पी कम हो गई है, बल्कि यह कि निवेशक अब अंधाधुंध नहीं बढ़ रहे हैं। शुरुआत में लोग जल्दी में थे, अब वो गणना कर रहे हैं। ₹26 प्रीमियम अभी भी मजबूत है — ये बताता है कि बाजार में इस कंपनी के लिए अभी भी अच्छी मांग है।

क्या छोटे निवेशकों के लिए ये आईपीओ अच्छा है?

हाँ, अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं। कैपिलरी का बिजनेस मॉडल बहुत मजबूत है — 410 ब्रांड्स, 47 देश, और स्थिर ग्रोथ। लेकिन आपको ये समझना होगा कि शुरुआती सालों में शेयर की कीमत उतार-चढ़ाव कर सकती है। इसलिए निवेश करते समय अपनी उम्मीदें वास्तविक रखें।

क्या ये कंपनी भारतीय टेक स्टार्टअप्स के लिए एक मिसाल बन सकती है?

बिल्कुल। अगर कैपिलरी लिस्टिंग के बाद स्थिर रहती है और अपनी बिक्री बढ़ाती है, तो ये भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए एक नया मॉडल बन जाएगा — जहाँ एक कंपनी अपने ग्लोबल क्लाइंट्स के साथ बढ़ती है, और फिर भारतीय निवेशकों को भी अपने सफर में शामिल कर लेती है।

कैपिलरी टेक्नोलॉजीज के शेयर कब लिस्ट होंगे?

आईपीओ का अंतिम दिन 18 नवंबर, 2025 है। आवंटन की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाएगी, और शेयर लगभग 25 नवंबर के आसपास BSE और NSE पर लिस्ट होने की उम्मीद है। इससे पहले, बाजार ग्रे मार्केट के आधार पर अपनी भविष्यवाणी कर रहा है।

क्या ये कंपनी लाभ कमाने वाली है?

अभी तक नहीं। जून 2025 तक के छह महीनों में कंपनी का नेट प्रॉफिट मात्र ₹1.03 करोड़ था, जबकि बिक्री ₹359.22 करोड़ थी। लेकिन SaaS कंपनियों के लिए ये आम बात है — वे पहले ग्रोथ पर फोकस करती हैं, फिर मुनाफा। कैपिलरी के पास एक मजबूत क्लाइंट बेस है, और अगर वो अपने रिवेन्यू मॉडल को बेहतर बना लेती है, तो लाभ जल्द ही आएगा।