जब अपरिचित युवक और उसकी साथी ने तेज़ चलती वंदे भारत ट्रेन के पीछे-पीछे एक रील बनाते हुए नाचना शुरू किया, तो पूरी इंटरनेट दुनिया ने सांस रोक ली। वीडियो में दर्शाया गया है कि कैसे वे रेलवे ट्रैक के किनारे खुजलाते‑खुजलाते भोजपुरी गाना “Fefda Khatam Ge” पर नाचते रहे, जबकि पाँच मिनट की दूरी पर वंदे भारत एक्सप्रेस की धुंधली सी धुंधी हवा उनके कपड़ों को झकझोर रही थी। यह दृश्य न सिर्फ़ जॉजिंग की लहर को बढ़ा रहा है, बल्कि सुरक्षा नियमों की गंभीर अनदेखी का तमाशा भी पेश कर रहा है।
घटना का सारांश और वीडियो विवरण
वायरल वीडियो घटना वायरल वीडियो घटना के रूप में 20 सितंबर 2024 को सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स पर पड़ी। वीडियो में युवा जोड़ा, जो अभी तक पहचाना नहीं गया है, उत्तर प्रदेश के एक रेलवे ट्रैक पर दिखाया गया है। उनका प्रारम्भिक लक्ष्य बस एक मज़ेदार रील बनाना था, लेकिन जल्दी‑जल्दी उन्हें पता नहीं चलता कि अचानक से चलती वंदे भारत एक्सप्रेस (उच्च गति वाला ट्रेन, वंदे दक्षिण भारत एक्सप्रेस) उनके पीछे‑सामने से गुज़र रही थी।
वहां की ध्वनि, लोहा‑लोहा की टकराव की गूँज और ट्रेन की तेज़ हवा ने एक रोमांचक पृष्ठभूमि बना दी। बावजूद इसके, दोनों ने कैमरा चलाते हुए नाचना जारी रखा, जिससे ट्रैक पर उनका कदम‑कदम झुकता हुआ दिखा। अंत तक, ट्रेन ने उन्हें बिना किसी हानि के पार कर लिया, लेकिन अनजाने में उनका जोखिम कई प्रत्यक्ष और परोक्ष नुकसान की ओर इशारा करता है।
रेल ट्रैक पर कंटेंट बनाना: बढ़ती प्रवृत्ति
सोशल मीडिया, विशेषकर शॉर्ट‑फ़ॉर्म रील प्लेटफ़ॉर्म, आज के युवाओं का नया खेल मैदान बन गया है। “लीलावली” या “एक्सट्रीम” जैसे ट्रेंड्स ने उन्हें जोखिम भरे स्थानों की ओर खींचा है। पिछले दो साल में ही लगभग 30 केसों में लोगों ने रेलवे ट्रैक पर खुद को रिकॉर्ड किया, जिसमें 12 मामलों में घातक परिणाम आए। इस प्रवृत्ति की जड़ में है स्वीकृति की लालसा और ‘वायरल’ शब्द की मोहभंग।
एक सर्वे में बताया गया कि 68% युवा कहते हैं कि उनका मुख्य लक्ष्य 'लाइक्स' और 'फॉलोअर्स' बढ़ाना है, जबकि 45% ने स्वीकार किया कि वे ऐसी जगहों पर वीडियो बनाते हैं जहाँ सुरक्षा जोखिम स्पष्ट होते हैं। यह आँकड़ा सामाजिक दबाव और असुरक्षित स्थानों के रोमांच को उजागर करता है।
सुरक्षा जोखिम और विशेषज्ञ चेतावनी
रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण (रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण) ने कई बार कहा है कि ट्रैक पर किसी भी अनधिकृत व्यक्तियों की उपस्थिति अवैध है और तुरंत जीवन‑भयावह स्थितियों को जन्म दे सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक वंदे भारत ट्रेन 180 km/h की रफ़्तार से चलती है, जिससे ट्रैक के पास खड़े लोग हवा के झोंके से ही गिर सकते हैं। इसके अलावा, ट्रेन की साउंड सॉलिडिटी के कारण डिस्ट्रेसिंग साउंड में कई बार मानव कान में स्थायी नुकसान हो सकता है।
श्री सूरज सिंह, इंडियन रेलवे के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार, ने कहा: “ट्रैक के पास एक छोटी‑सी गलती भी मृत्यु में बदल सकती है। जोखिम सिर्फ़ ट्रेन के टकराव में नहीं, बल्कि हवा की गति, ध्वनि, और रेत‑भूरे वस्तुओं में फँसने में भी है।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि एक छोटे से रील के लिए इस तरह का खतरनाक कदम उठाना “अनसम्भव” है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया और कड़े कदम
घटना के परे, भारतीय रेलवे (भारतीय रेलवे) ने तुरंत एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि ट्रैक के पास अनधिकृत फोटोग्राफी या वीडियो निर्माण पर कड़े पैमाने पर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और कड़ी सज़ा शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर ऐसे कंटेंट क्रिएटरों को ट्रैक से दूर रखने के लिए विशेष ‘सुरक्षा दिवस’ आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।
राज्य सरकार भी इस समस्या को हल करने के लिए अनुशंसा कर रही है कि स्कूलों में रेलवे सुरक्षा के बारे में जागरूकता कार्यक्रम होना चाहिए। कुछ राज्यों ने तो ‘ट्रैक पर डिस्ट्रैक्शन फ्रि’ अभियान भी लॉन्च किया है, जिसमें सामाजिक मीडिया इन्फ्लुएंसरों को डिजिटल एम्बेसडर बनाया जाएगा ताकि यह संदेश बड़े पैमाने पर फैले।
सामाजिक प्रभाव और भविष्य की रोकथाम
पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें दर्शकों की सतह पर उछाल दिखती है, परंतु गहरी सामाजिक क्षति होने की संभावना अधिक है। एक बिंदु यह है कि ऐसे वीडियो देखते हुए युवा वर्ग अक्सर इसे ‘नॉर्मल’ समझने लगता है, जिससे भविष्य में और अधिक जोखिम भरे ट्रेंड्स उभर सकते हैं।
अपना संदेश फैलाने के लिए, हम एक ‘की फेक्ट्स’ बॉक्स पेश करते हैं:
- वंदे भारत की औसत गति ≈ 180 km/h, जिससे हवा की गति ≈ 50 m/s तक पहुँचती है।
- 2022‑2024 में भारत में rail‑track‑related स्टंट्स से 12 लोगों की मृत्यु हुई।
- सुरक्षा प्राधिकरण का अनुमान है कि प्री‑इंट्रॉस्पेक्टिव चेतावनी से 70% ट्रैक‑पर‑स्टंट्स बच सकते हैं।
- इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऐसे टैग वाले वीडियो की लाइक्स औसत ≈ 150,000 तक पहुँचती हैं।
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि इस प्रकार की लापरवाही केवल व्यक्तिगत जोखिम नहीं, बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य पर भी बड़ा दांव है। अतः, अगर हम युवाओं को सही दिशा‑निर्देश दे सकें, तो इस खतरनाक प्रवृत्ति को पहचाना और रोका जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या रेलवे ट्रैक पर रील बनाना कानूनी है?
नहीं। भारतीय रेलवे की आधिकारिक नीति के अनुसार, बिना अनुमति के ट्रैक पर या उसके पास कोई भी गतिविधि – फ़ोटो, वीडियो या अन्य – अवैध है और इसके लिए जुर्माना या जेल सजाएँ तय हैं।
वंदे भारत ट्रेन की गति कितनी होती है?
वंदे भारत एक्सप्रेस की औसत चलन गति 180 km/h है, कुछ सेक्शन में 200 km/h तक पहुँच सकती है, जिससे ट्रैक के पास खड़े व्यक्ति पर हवा का दबाव बहुत अधिक हो जाता है।
ऐसे स्टंट्स से कितनी जानें जा रही हैं?
2022 से 2024 के बीच, रेल‑ट्रैक से जुड़े 30 से अधिक स्टंट मामलों में 12 लोगों की मौत हुई, और कई घायल भी हुए। यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
क्या सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स ऐसी सामग्री हटाते हैं?
कई प्लेटफ़ॉर्म्स ने जोखिम भरे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया है, लेकिन निगरानी की कमी के कारण कई वीडियो अभी भी वायरल होते हैं। उपयोगकर्ताओं को रिपोर्ट करने की सलाह दी जाती है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
स्कूल‑स्तर पर सुरक्षा शिक्षा, स्थानीय पुलिस की सक्रिय निगरानी, और सोशल मीडिया पर चेतावनी‑कैम्पेन मिलकर प्रभावी उपाय हो सकते हैं। साथ ही, ट्रैक के आसपास साइन‑बोर्ड और सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने से जोखिम घटेगा।
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