रूस की mRNA आधारित कैंसर वैक्सीन Enteromix ने 48 रोगियों पर हुए ट्रायल में 100% प्रभावशीलता और सुरक्षा का दावा किया है। प्रारंभिक संस्करण कोलोरेक्टल कैंसर को निशाना बनाता है, जबकि ग्लियोब्लास्टोमा और मेलेनोमा के लिए भी संस्करण विकसित हो रहे हैं। 60-80% तक ट्यूमर सिकुड़ने की बात कही गई है। वैक्सीन अब रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी की प्रतीक्षा में है।
कोलोरेक्टल कैंसर – क्या है और कैसे पहचानें?
कोलोरेक्टल कैंसर कोलन या रेक्टम में बनने वाला कैंसर होता है। यह अक्सर धीरे‑धीरे बढ़ता है, इसलिए शुरुआती लक्षण देखना मुश्किल हो सकता है। अगर आप इन संकेतों को समझेंगे, तो समय पर डॉक्टर से मिलना आसान हो जाएगा।
मुख्य लक्षण क्या हैं?
सबसे सामान्य लक्षण हैं:
- पेट में बार‑बार ऐंठन या दर्द
- बिना वजह के पेट में फूलना
- बॉक्स में खून आना या मल में रक्त मिलना
- पेट में लगातार हल्के‑से कबीली बदलाव, जैसे कब्ज या दस्त
- वजन में अचानक कमी, थकान या बुखार
इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर को दिखाना बेहतर है, क्योंकि जल्दी पहचान इलाज का असर बढ़ा देती है।
कारण और रोकथाम के टिप्स
कोलोरेक्टल कैंसर के कुछ प्रमुख जोखिम कारक हैं:
- उम्र – 50 साल के बाद जोखिम बढ़ता है
- धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन
- फाइबर कम और लाल मांस ज्यादा खाने की आदत
- परिवार में कैंसर का इतिहास
- शारीरिक निष्क्रियता
रोकथाम के लिए आप ये आसान कदम उठा सकते हैं:
- हर दिन 5‑7 फाइबर‑रिच सब्जियां और फल खाएँ
- धूम्रपान और शराब से परहेज रखें
- नियमित रूप से बायोलॉजिकल स्क्रीनिंग करवाएँ (कोलोनोस्कोपी या सिटोमेट्री)
- शारीरिक सक्रियता रखें – हफ्ते में 150 मिनट तेज चलना या साइकिल चलाना
- वज़न को स्वस्थ सीमा में रखें
जब आप इन आदतों को अपनाएँगे तो कैंसर का जोखिम काफी घट जाएगा।
यदि लक्षण दिखें, तो डॉक्टर आपको कोलोनोस्कोपी या एन्हांस्ड CT स्कैन जैसी जाँच करवाने को कहेंगे। शुरुआती स्टेज में टैम्पोररी या न्यूनतम सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी से कुशल परिणाम मिलते हैं। आगे की जानकारी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज चुनें।
सबसे बड़ी बात ये है कि कोलोरेक्टल कैंसर अक्सर शुरुआती चरण में बिना लक्षण के रहता है, इसलिए नियमित स्क्रीनिंग ही बचाव की कुंजी है। याद रखें, छोटी‑सी चेक‑अप आपके और आपके परिवार की जिंदगी बचा सकती है।