रूस की mRNA आधारित कैंसर वैक्सीन Enteromix ने 48 रोगियों पर हुए ट्रायल में 100% प्रभावशीलता और सुरक्षा का दावा किया है। प्रारंभिक संस्करण कोलोरेक्टल कैंसर को निशाना बनाता है, जबकि ग्लियोब्लास्टोमा और मेलेनोमा के लिए भी संस्करण विकसित हो रहे हैं। 60-80% तक ट्यूमर सिकुड़ने की बात कही गई है। वैक्सीन अब रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी की प्रतीक्षा में है।
mRNA कैंसर वैक्सीन: कैसे काम करती है और क्यों चाहिए?
अगर आप कैंसर की खबर सुनते‑सुनते थक गए हैं, तो एक नई तकनीक पर ध्यान देना चाहिए‑ mRNA कैंसर वैक्सीन। इस वैक्सीन की बात अक्सर COVID‑19 वैक्सीन से जुड़ी रहती है, पर इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में भी हो रहा है। तो, यह वैक्सीन असल में क्या करती है?
mRNA का मूल सिद्धांत
mRNA एक छोटा जीन का कॉपी है जो शरीर को बताता है कि कौन‑सा प्रोटीन बनाना है। वैक्सीन में इस कॉपी को इंजेक्ट करने से हमारी इम्यून सिस्टम को सिखाया जाता है कि वह कैंसर‑सेल में मौजूद एक खास प्रोटीन को पहचान सके। जब शरीर इस प्रोटीन को देखता है, तो वह तुरंत उस पर हमला करने वाले T‑सेल और एंटीबॉडी बनाता है। यानी, रोग‑प्रतिरोधक शक्ति कैंसर के खिलाफ तैयार हो जाती है।
कैंसर में कैसे काम करता है?
परंपरागत कैंसर थेरेपी (कीमो, रेडियो) अक्सर सारे कैंसर‑सेल्स को मार देती हैं, पर कई बार स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाते हैं। mRNA वैक्सीन केवल उन कैंसर‑सेल्स को लक्षित करती है जिनमें वह खास प्रोटीन होता है। इससे साइड‑इफेक्ट कम होते हैं और इलाज ज्यादा सटीक रहता है। अभी तक melanoma, ल्यूकेमिया और कुछ फेफड़े के कैंसर में सफलता मिली है।
भारत में कई शोध केंद्र और बायो‑टेक कंपनियाँ इस तकनीक पर काम कर रही हैं। कुछ क्लिनिकल ट्रायल्स पहले ही शुरू हो चुके हैं, जहाँ मरीजों को वैक्सीन देने के बाद ट्यूमर की साइज घटती या स्थिर देखी गई है। यह संकेत देता है कि भविष्य में यह तकनीक मुख्यधारा का इलाज बन सकती है।
सुरक्षा की बात करें तो mRNA वैक्सीन आम तौर पर बहुत सुरक्षित मानी जाती है। क्योंकि इसमें कोई जिवाणु नहीं होता, शरीर में वायरस नहीं बनता। सबसे आम साइड‑इफेक्ट हल्का बुखार, इंजेक्शन साइट पर दर्द या हल्की थकान होती है, जो कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के बाद भी कोई गंभीर दीर्घकालिक नुकसान नहीं पाया गया है।
अगर आप या आपका कोई परिचित कैंसर से ग्रसित है और इस वैक्सीन में रुचि रखते हैं, तो पहले अपने ऑनकोलॉजिस्ट से बात करें। वे आपके ट्यूमर के प्रकार, जीन प्रोफ़ाइल और उपलब्ध क्लिनिकल ट्रायल्स के आधार पर सबसे अच्छा विकल्प सुझा सकते हैं। भारत में AIIMS, टाटा मेडिकेयर और कुछ निजी कैंसर सेंटर इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
सारांश में, mRNA कैंसर वैक्सीन एक बायो‑टेक पहेली को सुलझा रही है‑ कैंसर के खिलाफ शरीर की खुद की रक्षा को तेज़ और विशिष्ट बनाकर। वह डॉक्टर की सलाह, क्लिनिकल ट्रायल की उपलब्धता और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। अगर यह आपके लिए नया विचार है, तो पूछें, पढ़िए और सही जानकारी के साथ निर्णय लें।