अग्रसेन कालेज में चल रहे यूथ फेस्टिवल का मंगलवार को अंतिम दिन था और इस फेस्टिवल की सबसे बड़ी खासियत थी नियाज ब्रदर्स द्वारा पेश की गई कव्वाली रही। जिसका सभी ने जमकर लुफ्त उठाया और पूरे जोश और जूनून के साथ नियाजी ब्रदर्स का साथ दिया। युवान-10 के आखिरी दिन यानी मंगलवार को दिन की शुरूआत हल्के फुल्के नाटकों से शुरू हुई।
उसके बाद अग्रसेन के ही अपने म्युजिकल ग्रुप तरंग ने परफार्म किया। जिसमें छात्रों के गानों के साथ-साथ नृत्य भी शामिल था। तरंग के परफार्म के बाद बारी आई फैशन शो परिधान की। इसे भी अग्रसेन के ही ग्रुप परिधान ने पर्फामेंस दी। अग्रसेन के छात्रों के द्वारा ये एक अच्छी कोशिश थी जिसे लोगों ने काफी सराह भी। यहां तक की कालेज के बाकी छात्र इस फैशन शो के शुरू होता ही काफी रोमांचित हो उठे थे। इस शो में कालेज के छात्रों ने मार्डन ड्रेस पहनकर अपने शो में जान डाल दी। इसके बाद युवान-10 में एक बार फिर नंबर आया हल्के फुल्के संगीत का जिसे कालेज के ही म्युजिकल ग्रुप ने परफार्म किया। इससे बाद इस फेस्टिवल में स्ट्रीट प्ले(नुक्कड़) की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें सात कालेजों की टीमों ने हिस्सा लिया था। सारे प्रदर्शन देखने लायक थे। इस नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता को जागृति नाम दिया गया था। जो एक तरह से सही था क्योंकि इसका उद्देश्य नाटको के जरिए कोई न कोई सामाजिक संदेश देना होता है। जैसे लेडी श्री राम कालेज की टीम ने जानकारी के अभाव मं नवजात व अजन्में शिशुओं की मृत्यु को प्रमुखता से दर्शाया इसी प्रकार अन्य कालेजों की टीम ने भी अपना अपना नाटक प्रस्तुत किया। यहां एक बात गौर करने वाली है कि माहाराजा अग्रसेन कालेजकी टीन ने परफार्म तो किया पर वे प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं थे। इस प्रतियोगिता में खालसा कालेज की टीम अंकुर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, भाग लेने वाले अन्य कालेज हैं देशबन्धु कालेज, श्री वेंकटेश्वर
कालेज और विवेकानन्द कालेज थे। अब बात करते हैं कव्वाली की। जसने इस फेस्टिवल में चार चांच लगा दिए थे। नियाजी ब्रदर्स ने अपने प्रोग्राम की शुरूआत अल्लाह, ईश्वर के नाम कलमें गा कर की जिसे सुनने वालों का भरपूर प्यार मिला। इसके बाद तो जैसे सूफी संगीत का दरिया बह निकला हो और सुनने वाले उसमें डूब कर रुहानी संगीत का आनन्द ले रहे थे। एक से एक बेहतरीन गीत, गजलें और शेर उन्होंने अपने सुनने वालों की फरमाइश पर पेश किए जैसे, छाप तिलक सब छीन लीनी, दमा दमा दम मस्त कलन्दर, बेवफा यूं तेरा मुस्कुराना याद आने के काबिल नहीं है। मेरा पिया घर आया, ये जो हल्का हल्का सूरूर है। सबसे आखिर में उन्होंने जीवन की सच्चाइयों को पेश करते हुए 'जलता सूरज धीरे-धीरे जलता है ढ़ल जायेगा' पेश किया तो हॉल में बैठे सभी लोग सोचने पर मजबूर हो गए। बीच बीच में नियाजी ब्रदर्स लड़के और लड़कियों की फरमाइश पर कुछ तीखे और दिल को छू लेने वाले शेर भी उछालते रहे जिसे दर्शकों और सुनने वालों ने खुली बांहों से स्वीकार किया। इस कव्वाली के साथ ही दो दिन के इस फेस्टिवल का समापन हुआ। अंत में कल्चरल कमेटी के सभी सदस्यों को स्टेज पर बुलाकर शाबासी दी गई। जिनकी मेहनत और जज्बा तारीफ के काबिल था। कालेज के प्रिसिपल श्री सुनील सोंधी ने सभी को धन्यवाद दिया और सब से यह कहा कि इस प्रकार के फेस्टिवल से पूरा कालेज एक प्रकार से रिफ्रेश हो जाता है। इस तरह से दो दिन के इस उत्सव का अंत हुआ। वाकई इस पूरे दो दिन के फेस्ट में महाराजा अग्रसेन ने काफी मेहनत की थी। इसमें फेस्ट के लिए काम करने वाले हर एक स्टूडेंट और टीचर्स ने अपने रात दिन एक कर के इस को सजाया था। तभी तो महाराजा अग्रसेन के प्रिसिपल श्री सोंधी ने सभी आयोजनकर्ताओं को स्टेज पर बुला कर उन्हें धन्यवाद दिया। इस फेस्ट के लिए काम करने वालों में थे युवान के कनवेनर श्री राजहंस और उनके स्टूंडेट पूजा, जुल्फीकार आदि।