नई दिल्ली। मोबाइल कंपनियों में छिडी जंग पर टाटा टेलीसर्विसेज के प्रवक्ता ने कहा '' वोडाफोन का यह आरोप अतार्किक, आधारहीन, गुमराह करने वाला और वास्तविक मुद्दे से ध्यान हटाने वाला है कि पहले से काम कर रही कंपनियां अनुबंध में लिखे 6.2 मेगा हट्र्ज से ज्यादा स्पेक्ट्रम दबाए हुए हैं और दिल्ली में अन्य कंपनियों को सेवाएं शुरू करने का मौका नहीं देना चाहतीं।''
सबसे बडे जीएसएम परिचालकों में से एक वोडाफोन ने कहा था अन्य कंपनियों के मुकाबले उसने और भारती ने सबसे अघिक स्पेक्ट्रम शुल्क दिया है। मसलन भारती और वोडाफोन ने सात सर्कलों के लिए क्रमश: 1.71 करोड रूपए और 1.37 करोड रूपए प्रति मेगा हट्र्ज की दर से स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान किया है।
इधर टाटा और रिलायंस ने वोडाफोन के आरोपों को असंगत बताया। इनका तर्क है कि मेट्रो सर्किलों की इस तरह की तुलना गुमराह करने वाली है, क्योंकि वोडाफोन जैसी पहले से परिचालन कर रही कंपनियों की इन सर्किलों में जीएसएम सेवा में उपस्थिति लम्बे समय है और उनकी आय टाटा टेलीसर्विसेज,आरकाम और अन्य नई कंपनियों के मुकाबले अघिक है।